NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 Yatindra Mishra

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November 21, 2025
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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 are very useful for students who want to understand the lesson deeply and prepare well for exams. This chapter, written by Yatindra Mishra, is called “Naubatkhane Mein Ibadat” (नौबतखाने में इबादत). It tells the story of Ustad Bismillah Khan, the famous shehnai player, and shows his love for music and his dedication to his art. This class 10 Hindi chapter 16 also explains how he remained humble even after receiving many awards and recognition for his work.

Yatindra Mishra Class 10 Chapter 16 is more than just a story about music. It shows how Bismillah Khan respected traditions and religion. During Muharram, he would walk long distances, play the shehnai, and recite na'uh to remember Imam Hussain. At the same time, he did not play music at home because of his family’s rules. This chapter teaches students about discipline, devotion, and love for work.

NCERT Class 10 Hindi Chapter 16 question answers also help you read and understand every part of the chapter in a structured way. Using these solutions, you can improve your understanding of the chapter, learn important points from Bismillah Khan’s life, and get ready to answer questions in exams confidently.

Keep reading to get all the important NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 in detail. These will help you practice writing answers and revise easily at home for exams.

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NCERT Kshitij Class 10 Hindi Chapter 16 Question Answers

NCERT Kshitij Class 10 Hindi Chapter 16 question answers explain the lesson in an easy way and help you understand the important points clearly. For your ease of understanding, go through the detailed Class 10 Hindi Yatindra Mishra question answers given below to know how to write yours in exams or while doing homework:

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 Yatindra Mishra

नौबतखाने में इबादत प्रश्न अभ्यास:

प्रश्न. 1. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?

उत्तर: मशहूर शहनाई वादक “बिस्मिल्ला खाँ” का जन्म डुमराँव गाँव में ही हुआ था। इसके अलावा शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है, जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है। रीड, नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यत: सोन नदी के किनारे पाई जाती है। इसी कारण शहनाई की दुनिया में डुमराँव का महत्त्व है।

प्रश्न. 2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?

उत्तर:- शहनाई ऐसा वाद्य है जिसे मांगलिक अवसरों पर ही बजाया जाता है। बिस्मिल्ला खाँ शहनाई बजाते थे और शहनाई वादक के रूप में उनका स्थान सर्वश्रेष्ठ है। 15 अगस्त, 26 जनवरी, शादी अथवा मंदिर जैसे मांगलिक स्थलों में शहनाई बजाकर शहनाई के क्षेत्र में इन्होंने प्रसिद्धी प्राप्त की है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान रखते हैं। इन्हीं कारणों की वजह से बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है।

प्रश्न. 3. सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?

उत्तर:- सुषिर-वाद्य का अभिप्राय है – सुराख़ वाले वाद्य जिन्हें फूँक मारकर बजाया जाताहै। शहनाई अन्य सभी सुषिर वाद्यों में श्रेष्ठ है। इसलिए उसे ‘शाहे-नय’ अर्थात् ऐसे सुषिर वाद्योंका ‘शाह’’ कहा जाता है।

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प्रश्न. 4.1 आशय स्पष्ट कीजिए:

‘फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।

उत्तर:- यहाँ बिस्मिल्ला खाँ ने सुर तथा कपड़े (धन-दौलत) से तुलना करते हुए सुर को अधिक मूल्यवान बताया है। क्योंकि कपड़ा यदि एक बार फट जाए तो दुबारा सिल देने से ठीक हो सकता है। परन्तु किसी का फटा हुआ सुर कभी ठीक नहीं हो सकता है। और उनकी पहचान सुरों से ही थी इसलिए वह यह प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उन्हें अच्छा कपड़ा अर्थात् धन-दौलत दें या न दें लेकिन अच्छा सुर अवश्य दें।

प्रश्न. 4.2 आशय स्पष्ट कीजिए:

‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।’

उत्तर:- बिस्मिल्ला खाँ पाँचों वक्त नमाज़ के बाद खुदा से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे। वे खुदा से कहते थे कि उन्हें इतना प्रभावशाली सच्चा सुर दें और उनके सुरों में दिल को छूने वाली ताकत बख्शे उनके शहनाई के स्वर आत्मा तक प्रवेश करें और उसे सुनने वालों की आँखों से सच्चे मोती की तरह आँसू निकल जाए। यही उनके सुर की कामयाबी होगी।

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प्रश्न. 5. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?

उत्तर:- काशी की अनेकों परम्पराएँ धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है पहले काशी खानपान की चीज़ों के लिए विख्यात हुआ करता था। परन्तु अब वह बात नहीं रह गई है। कुलसुम की छन्न करती संगीतात्मक कचौड़ी और देशी घी की जलेबी आज नहीं रही है। संगीत, साहित्य और अदब की परंपरा में भी धीरे-धीरे कमी आ गई है। अब पहले जैसा प्यार और भाईचारा हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच देखने को नहीं मिलता। गायक कलाकारों के मन में भी संगत करने वाले कलाकारों के प्रति बहुत अधिक सम्मान नहीं बचा है। काशी की इन सभी लुप्त होती परंपराओं के कारण बिस्मिल्ला खाँ दु:खी थे।

प्रश्न. 6.1 पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि:

बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

उत्तर:- उनका धर्म मुस्लिम था। वे अपने मजहब के प्रति समर्पित थे। पाँचों वक्त की नमाज़ अदा करते थे। मुहर्रम के महीने में आठवी तारीख के दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते थे व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते थे।
इसी तरह इनकी श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी और बालाजी मंदिर के प्रति भी थी। वे जब भी काशी से बाहर रहते थे। तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते थे और उसी ओर शहनाई बजाते थे। वे अक्सर कहा करते थे कि काशी छोड़कर कहाँ जाए, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ। मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी। इसलिए हम कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खाँ मिली जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

प्रश्न. 6.2 पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि:

वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे|

उत्तर:- बिस्मिल्ला खाँ एक सच्चे इंसान थे। वे धर्मों से अधिक मानवता, आपसी प्रेम तथा भाईचारे को महत्त्व देते थे। वे हिंदु तथा मुस्लिम धर्म दोनों का ही सम्मान करते थे। भारत रत्न से सम्मानित होने पर भी उनमें लेश मात्र भी घमंड नहीं था। वे भेदभाव और बनावटीपन से दूर रहते थे। दौलत से अधिक सुर उनके लिए ज़रुरी था।

प्रश्न. 7. बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?

उत्तर:- बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में कुछ ऐसे व्यक्ति और कुछ ऐसी घटनाएँ थीं जिन्होंने उनकी संगीत साधना को प्रेरित किया।
(1) बालाजी मंदिर तक जाने का रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता था। इस रास्ते से कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा की आवाज़ें आती थी। इन्हीं गायिका बहिनों को सुनकर उनके मन में संगीत की ललक जागी।
(2) बिस्मिल्ला खाँ जब सिर्फ़ चार साल के थे तब छुपकर अपने नाना को शहनाई बजाते हुए सुनते थे। रियाज़ के बाद जब उनके नाना उठकर चले जाते थे तब अपनी नाना वाली शहनाई ढूँढते थे और उन्हीं की तरह शहनाई बजाना चाहते थे।
(3) मामूजान अलीबख्श जब शहनाई बजाते-बजाते सम पर आ जाते तो बिस्मिल्ला खाँ धड़ से एक पत्थर ज़मीन में मारा करते थे। इस प्रकार उन्होंने संगीत में दाद देना सीखा।
(4) बिस्मिल्ला खाँ कुलसुम की कचौड़ी तलने की कला में भी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे।
(5) बचपन में वे बालाजी मंदिर पर रोज़ शहनाई बजाते थे। इससे शहनाई बजाने की उनकी कला दिन-प्रतिदिन निखरने लगी।

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नौबतखाने में इबादत रचना और अभिव्यक्ति:

प्रश्न. 8. बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

उत्तर:
(1) मुस्लिम होने के बाद भी अपने धर्म के साथ-साथ वे हिन्दू धर्म को भी उतना ही सम्मान देते थे।
(2) भारत रत्ऩ की उपाधि मिलने के बाद भी वे पैबंद लगी लुंगिया पहन लेते थे इससे उनके एक सीधे-सादे, सरल तथा सच्चे इंसान की झलक मिलती है।
(3) उनमें संगीत के प्रति सच्ची लगन तथा सच्चा प्रेम था। इसलिए कुलसुम की कचौड़ी तलने की कला में भी संगीत का आरोह-अवरोह देखा करते थे।
(4) वे अपनी मातृभूमि से सच्चा प्रेम करते थे। शहनाई और काशी को कभी न छोड़ने की बात करते थे जैसे शहनाई और खाँ साहब एक दूसरे के पूरक हो।

प्रश्न. 9. मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:- मुहर्रम पर्व के साथ बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई का सम्बन्ध बहुत गहरा है। मुहर्रम के महीने में शिया मुसलमान शोक मनाते थे। इसलिए पूरे दस दिनों तक उनके खानदान का कोई व्यक्ति न तो मुहर्रम के दिनों में शहनाई बजाता था और न ही संगीत के किसी कार्यक्रम में भाग लेते थे। आठवीं तारीख खाँ साहब के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती थी। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते और दालमंड़ी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते हुए जाते थे। इन दिनों कोई राग-रागिनी नहीं बजाई जाती थी। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।

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प्रश्न. 10. बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर:- बिस्मिल्ला खाँ भारत के सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक थे। वे अपनी कला के प्रति पूर्णतया समर्पित थे। उन्होंने जीवनभर संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की इच्छा को अपने अंदर जिंदा रखा। वे अपने सुरों को कभी भी पूर्ण नहीं समझते थे इसलिए खुदा के सामने वे गिड़गिड़ाकर कहते – ”मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।” खाँ साहब ने कभी भी धन-दौलत को पाने की इच्छा नहीं की बल्कि उन्होंने संगीत को ही सर्वश्रेष्ठ माना। वे कहते थे – ”मालिक से यही दुआ है – फटा सुर न बख्शें। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।”
इससे यह पता चलता है कि बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे।

प्रश्न. 11.1 निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।

यह जरुर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरें के लिए उपयोगी हैं।

उत्तर:- शहनाई और डुमराँव एक-दूसरें के लिए उपयोगी हैं – संज्ञा उपवाक्य

प्रश्न. 11.2 निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।

रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है।

उत्तर:- जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है – विशेषण उपवाक्य

प्रश्न. 11.3 निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।

रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।

उत्तर:- जो डुमराँव में मुख्यतः सों नदी के किनारों पर पाई जाती है – विशेषण उपवाक्य

प्रश्न. 11.4 निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।

उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।

उत्तर:- कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा – संज्ञा उपवाक्य

प्रश्न. 11.5 निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।
हिरन अपनी महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।

उत्तर:- जिसकी गमक उसी में समाई है – विशेषण उपवाक्य

प्रश्न. 11.6 निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए।

खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।

उत्तर:- पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा – संज्ञा उपवाक्य

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प्रश्न. 12.1 निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए:

इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद है।

उत्तर:- यह ऐसी बालसुलभ हँसी है जिसमें में कई यादें बंद है।

प्रश्न. 12.2 निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए:

काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भूत परंपरा है।

उत्तर:- काशी में जो संगीत समारोह आयोजित किए जाते हैं उनकी एक प्राचीन एवं अद्भूत परंपरा है।

प्रश्न. 12.3 निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए।

धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नहीं।

उत्तर:- धत्! पगली ई जो भारतरत्न हमको मिला है वह शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नहीं।

प्रश्न. 12.4 निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए:

काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

उत्तर:- काशी का वह नायाब हीरा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

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Yatindra Mishra Class 10 Chapter 16 नौबतखाने में इबादत क्षितिज भाग 2 Summary

Yatindra Mishra Class 10 Chapter 16 “नौबतखाने में इबादत” is about the life and music of Ustad Bismillah Khan, a well-known shehnai player. The chapter shows his love for music, his devotion, and his simple, humble life, even after receiving awards like Bharat Ratna.

This Class 10 Hindi Chapter 16 also explains how he respected traditions while following his family’s customs at home. It also inspires children to be dedicated and passionate about whatever they choose to do. It emphasizes the value of discipline, respect, and love for one’s work. Here are some key points from the Yatindra Mishra Class 10 Chapter 16 that will help you understand it better:

  • Ustad Bismillah Khan was born in a music-loving family and learned shehnai from an early age.

  • As a child, he was inspired by listening to classical singers like Rasoolan Bai and Batoolan Bai.

  • He practiced daily and learned techniques from his elders. This shows his dedication and patience towards his passion.

  • During Muharram, he played the shehnai for hours while walking, showing devotion and respect for tradition.

  • Despite his fame and awards, he remained humble and valued music and humanity more than wealth or recognition.

  • His life teaches the importance of hard work, dedication, and following one’s passion with complete dedication.

Reading this summary not only helps you understand the chapter deeply but also strengthens your understanding of the Class 10th Hindi Yatindra Mishra question answer.

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Benefits of Class 10 Hindi Yatindra Mishra Question Answers

Class 10 board exams are very important, and Hindi can be your subject for scoring good marks. So in order to do well, you need to study every chapter carefully. In exams, you will have a few questions asked from this chapter as well. That's why reading these Class 10 Hindi Yatindra Mishra question answers becomes even more important. 

These solutions cover the key points from the lesson “Naubatkhane Mein Ibadat” in simple words so that you know how to write answers correctly. Moreover, here are some key benefits of using these NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16:

  • Clear understanding of the chapter: The Yatindra Mishra Class 10 solutions are based on the story, which helps you know the hidden message behind it. By reading them carefully, you can easily understand the main points and the message of the lesson.

  • Helpful for exams: Many questions from Class 10th Hindi Yatindra Mishra question answers can come in board exams. Studying these answers boosts confidence and improves your chances of scoring good marks.

  • Better writing skills: By going through these solutions, you learn to write structured, correct, and complete answers, which is very useful during exams.

  • Quick revision resource: Before exams, these class 10 Hindi chapter 16 question answers help you revise the whole chapter quickly.

  • Understanding values and themes: Reading the Yatindra Mishra class 10 question answer also helps you discover the moral of the lesson, which is based on dedication, devotion, and love for work.

Hence, using these NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 makes learning easier and more effective by increasing your chance of scoring good marks on questions asked from this chapter.

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 FAQs

Q.1. Who is the author of नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi Chapter 16?

Ans. The author of नौबतखाने में इबादत is Yatindra Mishra.

Q.2. Do Yatindra Mishra class 10 question answers cover the complete chapter?

Ans. Yes, the Yatindra Mishra class 10 question answer explains the whole chapter in simple words so that students can understand every part of it.

Q.3. What is the moral of Yatindra Mishra Class 10 Chapter 16?

Ans. This class 10 Hindi chapter 16 teaches dedication, discipline, and love for one’s work. It inspires students to follow their passion honestly and work hard in any field, like music, art, or studies.

Q.4. Are NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 important for board exams?

Ans. Yes, they are. These NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 16 help students revise the chapter and understand how to write complete and correct answers in exams.

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